आयुर्वेद में गाय के घी को अमृत समान बताया गया है। कई घरों में बहुत से लोग इससे परहेज़ करते हैं और घी को हाथ तक नहीं लगाते। पर अगर गाय के घी को नियमित रूप से सेवन किया जाए तो कई रोगों से मुक्त रह सकते हैं |
अच्छे उत्तम गो-घृत को लेकर किसी चीनी मिटटी के पात्र या कांच के अमृतवान में भरकर ढक्कन बंद करके ५ बर्ष पर्यंत रखे | तत्पश्चात उपयोग में ले |
गुण और उपयोग-
यह पुराना घी अनेको बिकारो में ताज़े घी की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ, लाभप्रद और उत्कृष्ट मेधावर्धक हैं | इसकी मालिश करने से छाती में जमा हुआ कफ ढीला होकर सरलता से निकल जाता हैं | विशेषतया पार्श्वशूल और न्यूमोनिया (pneumonia) में उत्कृष्ट लाभ होता हैं | उन्माद, अपस्मार और अनिद्रा को भी नष्ट करने में विशेष उपयोगी हैं |
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