छोटे बच्चों को बड़ी जल्दी बीमारियां घेरने लगती है। कई बार बच्चे के रोगों का पता भी नहीं चल पाता है कि वह किस समस्या से परेशान है। सामान्य परेशानियां जैसे प्रायः पेट फूलना, चुनचुने लगना, जुकाम, पेट में एठन होना मुख्य समस्याएं हैं जिनके बारे में बच्चे की मां को पता होना चाहिए। इन लक्षणों (symptoms of children's diseases) के आधार पर पर नवजात बच्चों की बीमारी का पता लगाया जा सकता है। आयुर्वेद के अथक प्रयास से आज हम आपलोगों को ऐसे ही औषधि के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके बालक को स्वस्थ्य रखने में सहायक होगा |
खर्पर भस्म (अभाव में यशद भस्म), प्रबाल भस्म, श्रृंग भस्म, शुद्ध हिंगुल, कचूर का चूर्ण, - प्रत्येक १-१ भाग लेकर सबको ब्राम्ही –स्वरस की भावना देकर अच्छी तरह मर्दन करे | गोली बनाने योग्य होने पर १-१ रति की गोलिया बना के छाया में सुखाके सुरक्षित रख ले |
मात्रा और अनुपान- १-१ गोली दिन में २-३ बार माँ के दूध से या जल अथवा शहद के साथ दे |
गुण और उपयोग – इस रस का सेवन करने से बच्चो के समस्त प्रकार के रोग यथा – ज्वर, अतिसार, हरे-पीले और फटे से, सफेद तथा झागदार दस्त होना, अस्थिमार्दव, बालशोध, डब्बा रोग, उदरकृमि, आदि विकारों को नष्ट कर बच्चो को हृस्ट- पुष्ट और निरोग बनाता हैं| यह मोतिझरा रोग में भी लाभ करता हैं |
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