खूबसूरत बाल पर्सनैलिटी में निखार लाने के साथ-साथ हमारी सेहत का भी आईना होते हैं। बालों का बेवक्त पकना या झड़ना किसी की भी नींद उड़ा सकता है। हालांकि कई फैक्टर मिलकर बालों की सेहत तय करते हैं। फिर भी हम थोड़ी देखभाल से अच्छे बाल पा सकते हैं।
तिल तेल (मुर्छित)१२८ तोला, भृंगराज का स्वरस या क्वाथ ५१२ तोला ले | पश्चात मंजीठ, पदाम्काष्ठ, लोध, चन्दन लाल, गैरिक, खरेंटी का पंचांग, हल्दी, दारु-हल्दी, नागकेशर, प्रियंगु,प्रपोंड्रिक (कमल का फूल), अनंतमूल- प्रतेक ४-४ तोला लेकर कूटकर दुग्ध से पीसकर कलक बनाये | फिर एक कढाई में तिलतेल भृंगराज स्वरस तथा कल्क को डालकर तैल पाक बिधि से पकावे | तैल सिद्ध हो जाने पर छानकर पात्र में रख ले |
बय्क्तब्य-
द्रब्य पदार्थो को द्रब्यद्वगुण परिभाषा अनुसार दोगुण लिया गया हैं| फिर भी इस तेल में कल्क का परिमाण अधिक हैं अत: तेल से चुर्थांस कल्क को कल्क के रूप में मिलावे था शेष को अष्ठगुण जल में पकाकर, चार भाग रहने पर छानकर, इस क्वाथ को तेल में डालकर इससे भी पाक कर ले | ऐसा करने से बनाने में सुविधा रहती हैं | और उत्तम गुणवतता भी बनी रहती हैं |
गुण और उपयोग – इस तेल को सिर में लगाने से बालो का असमय से झड़ना (hair loss) और सफ़ेद होना ये दोनों बिकार नष्ट होती हैं | इसके अतिरिक्त शिरो रोग, मन्यास्तम्भ, गल-ग्रह, कान तथा आख के रोगों में नस्य लेने तथा मालिश कने से उत्तम लाभ करता हैं | यह बालो को काले, घुघराले और चिकने बनता तथा बालो को खूब उगाता एवं बढाता हैं | बालो का गिरना या न उगना – इन दोनों रोगों को भी यह नष्ट करता हैं |
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