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Tuesday, 4 August 2015

मयूर चन्द्रिका भस्म – अब हिचकी से क्यों? घबराना

क्या आप हिचकी की समस्या से परेसान हैं | आये देखे हिचकी आपको परेसान करती हैं और ये रुकने का नाम नहीं लेती हैं तो आज हम आपको एक घरेलु उपचार बताने जा रहे हैं जो इस समस्या से निजात दिलाती हैं |
भस्म विधि- मयूर (मोर) के पंख को दियासलाई या घी की बत्ती से जलाकर भष्म कर ले पीछे पीस-छान कर रख ले ध्यान रहे पंख का पिछला चन्द्रिका वाला भाग ही विशेष गुणयुक्त होता है अतः उतने ही अंश को भष्म करे मयूर पंख राजस्थान तथा ब्रज में मिलते है अधिक मात्रा में भष्म बनानी हो तो इंडिया में भरकर पुट दे

२ रत्ती शहद से दे
मात्रा और अनुपात -

गुण और उपयोग – हिचकी और वमन में लाभदायक है | इसकी भस्म का सेवन करने से हिचकी, वमन, स्वास और कास रोग नष्ट होते हैं | इस भस्म को पिपली के चूर्ण के साथ मधु मिलाकर चाटने से प्रबल हिचकी श्वास और घोर वमन तथा उपद्र्व युक्त वमन शीघ्र नष्ट होते हैं | मयूर चन्द्रिका में जो सुंनहरा रंग दिखाई पड़ता हैं उसमे अति न्यून अंश में स्वर्ण का भाग रहता हैं | तथा मयूर चन्द्रिका में ताम्र का भाग विशेष होता हैं | इसी कारण इसका चमत्कारिक प्रभाव होता हैं | हिचकी में इसके साथ जहर मोहरा खटाई पिष्टी या भष्म १-२ रत्ती तथा रसादि रस १ गोली मिलाकर देने से अच्छा और शीघ्र लाभ होता हैं | तीव्र हिचकी था हिक्का अत्यंत तृषा के कारण रोगी बेचैन हो तो पिपली के छाल के साथ मयूर चन्द्रिका भस्म को सेवन करना अच्छा रहता हैं |

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