प्रमेह (diabetes) को कई नामो से जाना जाता हैं जैसे- सुगर, डायबिटीज | एक समय ऐसा था, जब प्रमेह के बारे में कोई भी नहीं जानता था, लेकिन आजकल के लाइफस्टाइल में ये बीमारी बहुत आम हो गई है। हर तीसरा व्यक्ति इसकी चपेट में आता जा रहा है। शरीर में बेकार प्रतिरोधक क्षमता के कारण ऐसा बहुत अधिक होता है। आज हम इस बीमारी की औषधी आप लोगों को बताने जा रहे हैं, जिसके सेवन से आप शत प्रतिसत स्वस्थ महसूस करेंगे |
रससिन्दूर, लौह भस्म, बंग भस्म, शुद्ध अफीम,
गूलर-फल के बीज, बेल की जड़ की छाल और तुलसी,समान भाग लेकर, प्रथम रससिन्दूर को खरल
में घोंटकर लौह और बंगभस्म, शुद्ध अफीम मिला कष्ठोधियो को कूटकर कपडे से छानकर
महीन चूर्ण बना मिलाकर गूलर के फलो के रस में सबको घोटकर २-२ रती की गोलियां बना,
छाया में सुखाकर रख ले |
मात्रा और अनुपान-
बहुमूत्र, मधुमेह (पेशाब में चीनी आने) में जामुन की गुठली और गुडमार का चूर्ण १-१ माशा,
गूलर का रस और शहद के साथ १-१ गोली शुबह –शाम दे | प्रमेह में गुर्च के रस और मधु
से दे | नपुंसकता-नामर्दी और शीघ्रपतन दोष दूर करने के लिए मिश्री मिला, खूब खौला कर
ठन्डा किये हुए दूध के साथ ले |
नोट- यदि इसके सेवन से
प्यास अधिक लगे तो सारिवा, मुलेठी, मुनक्का, दाभ (कुश), चीड का बुरादा,लालचंदन,
हर्रे का बक्कल, महुआ के फूल,- सब समान भाग लेकर, काढ़ा बना, ठंडा करके पिलाना
चाहिए | अथवा इन चीजो को रात में पानी में भिगो दे और प्रात: काल छानकर पिलावे |
गुण और उपयोग – यह रसायन
मधुमेह (sugar) और बहुमूत्र तथा सोम रोगों के लिए बहुत उपयोगी हैं | प्रमेह और शीघ्रपतन,
वीर्य की कमी आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता हैं |







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