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Tuesday, 4 August 2015

फिटकरी है उपयोगी - सर्प एवं बिच्छू दंश के प्रभाव से बचाये



फिटकरी एक प्रकार की खनिज मिटटी से, जिसको देशी भाषा में रोल और अंग्रेजी में “एलम शोल “ कहते हैं, से तैयार होने वाली बस्तु हैं | यह लाल और सफ़ेद दो प्रकार की होती हैं | भारत बर्ष में फिटकरी बनाने वाले कई कारखाने हैं | सबसे बड़ा कारखाना सिन्धु नदी के किनारे ‘काला बाग़ ‘ नामक स्थान पर हैं | यहाँ आज भी बहुत बड़े पैमाने पर फिटकरी तैयार की जाती हैं | फिटकरी का सत्व पातन करने से एल्युमीनियम धातु प्राप्त होती हैं | 


भस्म- बिधि – फिटकरी के टुकड़े को साफ़ करके छोटे-२ टुकडे बना मिट्टी की हांडी (जिसका पेट बड़ा हो ) में रख कर ऊपर से किसी ढक्कन से ढक दे | फिर इसे गजपुट में फूंक दे | स्वांग-शीतल होने पर भस्म निकाल ले | यह भस्म स्वच्छ, मुलायम और श्वेत वर्ण की होती हैं| बहुत से वैद्य इसे तवा पर रखकर फुला कर इसकी खील बना महीन पीस करकर भी काम में लाते हैं | 

लाल फिटकरीभस्म – लाल फिटकरी ५ तोला लेकर घृतकुमारी के रस में खरल करे | जब रस सुख जाये तो फिर इसे एक दिन भागरे के रस में खरल करके इसकी टिकिया बना, धूप में सुखा, सरब सम्पुट में बंद कर ५ सेर कन्डो की आंच में फूक दे | स्वांग शीतल होने पर भस्म को निकाल ले |
मात्रा और अनुपान – २ से ४ रत्ती, मधु घी शरबत बंनप्सा या रोगानुसार अनुपान से दे | 


गुण और उपयोग – इसको भस्म सूजाक, रक्तप्रदर, खांसी, पार्श्वशूल, पुरानी खांसी, राजयक्ष्मा, निमोनिया रक्त्बमन, विषविकार, मूत्रकृचछ, त्रिदोष, प्रमेह, कोढ़, ब्रण्, आदि को दूर करती हैं |
इसकी भस्म रक्त शोधक हैं | इसके सेवन से रक्तबहिनी संकुचित हो जाती हैं अत: यह बहते रक्त को रोकती हैं | इसके सेवन से  बढे हुए श्वास-कास के वेग भी कम हो जाते हैं | छाती में कफ जम के बैठ जाने से  खांसी होने पर छाती में दर्द होने लगता हैं | इस खांसी के अघात से ह्रदय वाल्व खराब हो जाते हैं | तथा इसमें दर्द होने लगता हैं , इस कफ को निकालने के लिए फिटकरी भस्म अमृत के समान हैं | कभी कभी फुस्फुसो में ज्यादे कफ संचय हो जाने पे फुस्फुस कठोर हो जाते हैं तथा अपने कार्य में असमर्थ हो जाते हैं | इसी अवस्था में यह भस्म भुत उपकारी हैं | 

हुपिंग कास (कुकुर खांसी ) – यह बीमारी बच्चो को अधिकार होती हैं | इसमें इतने जोर की खांसी उठती है कि बच्चे को वमन तक हो जाती हैं | ऐसी हालत में फिटकरी भस्म १ रत्ती, प्रवाल पिष्टी आधी रत्ती, ककड़ीसिंगी चूर्ण २ रत्ती में मिला शहद के साथ देने से फायदा भुत होती हैं | यह भस्म विष नासक हैं | अत: सभी प्रकार के विषों पर इसका प्रभाव होता हैं | 

तत्काल काटे हुए सर्प के रोगी को फिटकरी भस्म १ माशे को ५ तोला घी में मिला कर पिलाने से कुछ देर के लिए बिष का वेग आगे न बढ़कर रुक जाता हैं | 

बिच्छू के बिष में भी १ तोला फिटकरी को ५ तोला गर्म पानी में मिलकर रुई के फाहा से काटे स्थान पर इस पानी को बार बार रकने से बिच्छू का बिष दूर हो जाता हैं | 

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