
अश्वगन्धा ४० तोला विराधा ४० तोला इन दोनों को लेकर इन दोनों को कूटकर सूक्ष्म चूर्ण करके रख ले |
मात्रा और अनुपान – ३-६ माशे तक सुबह-शाम दूध या जल के साथ ले |
गुण और उपयोग- इस चूर्ण के सेवन से वीर्यविकार, शुक्रक्षय, विर्य का पतलापन, शिथिलता, शीघ्रपतन, प्रमेह आदि विकार नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा और निर्दोष बनता हैं | इस चूर्ण का सबसे उत्तम प्रभाव विर्यवाहिनी नाड़ीयो, वातवाहिनी नाड़ीयो और मस्तिष्क को परिपुष्ट करता हैं | अनिद्रा, ह्रदय की कमजोरी को नष्ट करता हैं | यह चूर्ण उत्तम शक्तिवर्धक तथा वाजिकरण हैं | शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाकर शरीर के वजन को बढाता एवम उत्तम वय:स्थापक हैं |
मात्रा और अनुपान – ३-६ माशे तक सुबह-शाम दूध या जल के साथ ले |
गुण और उपयोग- इस चूर्ण के सेवन से वीर्यविकार, शुक्रक्षय, विर्य का पतलापन, शिथिलता, शीघ्रपतन, प्रमेह आदि विकार नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा और निर्दोष बनता हैं | इस चूर्ण का सबसे उत्तम प्रभाव विर्यवाहिनी नाड़ीयो, वातवाहिनी नाड़ीयो और मस्तिष्क को परिपुष्ट करता हैं | अनिद्रा, ह्रदय की कमजोरी को नष्ट करता हैं | यह चूर्ण उत्तम शक्तिवर्धक तथा वाजिकरण हैं | शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाकर शरीर के वजन को बढाता एवम उत्तम वय:स्थापक हैं |
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