बवासीर एक ऐसी बीमारी हैं , जो ना कहा जाता
ना सहा जाता, दिन बिगड़ने वाली बीमारी यह सुमार हैं ! कुछ लोग इसको अंदर ही अंदर
लेके ढोते हैं , ना वो शर्म के मारे किसी से कह पाते और ना ही इसको सह पाते , मॉल
द्वार में इतना दर्द रहता हैं की ठीक से बैठ भी नहीं सकते ! लेकिन दोस्तों घबराने
की अब बिलकुल जरूरत नहीं हैं , कुछ खानपान में बदलाव – या पहले से हुई खानपान की
अनिमियतता हुए बबशीर रोग का निस्तारण बताने जा रहा हु \ अपनाने के स्वस्थ रहे मस्त
रहे – तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं !
बवासीर में छाछ सर्वोत्तम माना गया है,
यह बबासीर को जड़ से नाश करता हैं । दोपहर में
भोजन केपश्चात छाछ में डेढ़ से २ ग्राम पीसी हुई अजवायन और एक
ग्राम काला नमक मिलाकर पीने से बवासीर नष्ट होता हैं या नष्ट हुए बबासीर के मस्से
पुन: उत्प्न्न नही होते । इसके साथ ही साथ में मूली का सेवन बवासीर में रामबाण का काम करता हैं , मूली को पत्तो सहित हर रोज़ खाने से बवासीर में तुरंत आराम मिलता
है.
यह तेल बवासीर (Piles) के मस्सो को सुखा के रख देंगा
एरंडी के तेल जिसे सामान्य भाषा में
रेंड का तेल भी बोलते हैं को थोड़ा हलकी आंच पे गर्म कर उतार कर उसमे कपूर मिलाकर अच्छी
तरह से घोल ले । कपूर और तेल में 1 : 8 का अनुपात होना
चाहिए | अगर कपूर 10 ग्राम हो तो तेल 80 ग्राम ले ,
मल त्याग करने के बाद मस्सो को साफ़ पानी से धोकर पोछ ले और इस तेल को दिन में कम से कम दो बार नर्मी से
मस्सो पर मलें की मस्सो कि यह पूरी तरह शोषित हो जायें। इस तेल की नर्मी से मालिश
से मस्सो की तीव्र शोथ, दर्द, जलन, चुभन दूर होती हैं और निरंतर प्रयोग से मस्सो खुश्क हो जाते है।
कभी-कभी बवासीर के मस्से सूजकर मोटे
हो जाते है और गुदा से बाहर निकल आते है जिसको अक्सर उंगुली से अनादर करना पड़ता
हैं । ऐसी अवस्था में यदि उन पर इस तेल को लगाकर अंदर किया जाये तो दर्द नही होता
और मस्से नरम होकर आसानी से गुदा के अंदर प्रवेश हो जाते है।
उपचार के साथ-२
- बवासीर उग्र अवस्था में भोजन में दही ,चावल, मूंग की खिचड़ी ले । देसी घी प्रयोग में लाएं लेकिन अधिकता से बचे । मल को सख्त और कब्ज न होने दे । अधिक तेज मिर्च-मसालेदार, उत्तेजक और गरिष्ठ पदार्थो के सेवन से बचे । पानी का भरपूर सेवन करे |
- खुनी बवासीर में छाछ या दही के साथ कच्चा प्याज या पीसी हुयी प्याज की चटनी खाये लाभ मिलेगा ।
- रक्तस्रावी बवासीर में दोपहर में भोजन के १ से २ घटे पपीता खाना हितकारी माना गया है ।
- बवासीर चाहे कैसी भी हो बड़ी हो अथवा खुनी, या बादी । कच्ची मूली पत्ती सहित खाया जाये या इसके रस का सेवन ३० ml किया जाये तो कुछ दिनो के सेवन में ही बवासीर के अतिरिक्त रक्त या पेट के दोषो से मुक्ति मिलती हैं
सावधान
- बवासीर के रोगी, गुदा को गर्म पानी से न धोएं । खासकर जब तेज गर्मियों के मौसम में छत की टंकियों व नलों से बहुत गर्म पानी आता है तब गुदा को उस गर्म पानी से धोने से बचना चाहिए ।
- बवासीर एक बार ठीक हो जाने के बाद अत्यधिक मिर्च-मसाले, गरिष्ठ और उत्तेजक पदार्थो का सेवन से बचे नहीं तो उसके दुबारा होने की संभावना रहती है ।
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