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Saturday, 3 February 2018

महाविषगर्भ तेल Maha Vishgarbha Oil – नूतन वातरोग और संधि रोग में लाभदायक

घटकद्रव्य: 
धतूर, निर्गुण्डी, तुम्बानी, पुनर्ववा, एरंड, अश्वगंधा, प्रपून्नाग, चित्रक, शोभान्ज्जन, गोक्षुर, निम्ब, कंटकारी, सारिवा, महाबला, महानिम्ब, मुण्डितिका, वासा, इश्वरी, विदारीकन्द, सोमवल्ली, विल्व, स्नुही, प्रसारणी, श्योनाक, अर्क, गंभारी, मेषश्रृंगी, पाटला, श्वेतकरवीर, अग्निमंथ, रक्तकरवीर, शालिपर्णी, वचा, प्रिश्निपर्नी, काकजंघा, वृहती, अपामार्ग, कंटकारी, बला, तेल,
प्रक्षेपद्रव्य: 
शुंठी, शुद्वत्श्नाभ, कट्टफल, मरिच, यवक्षार, पाठा, पिप्पली, स्वर्जिकाक्षार, भांर्गी, शुद्धविषतिन्दुक, सैन्धव लवण, त्रायमाणा, कुष्ठ, विंड लवण, धन्वयास, अतिविषा, औद्विंद लवण, श्वेतजीरक, मुस्तक, सामुन्द्र लवण, इन्द्रवारुणी, देवदारु, शुद्तुथ्य,
इस तेल में तीक्ष्णव्यवायी व विकासी,औषधिवो होंने से इसका त्वचा द्वरा शीघ्र शोषण होकर पुरे शरीर में फ़ैल जाता हैं !
इस तेल से सोथ और शूल दोनों में आराम पहुचता हैं
इसका प्रयोग आभ्यंतर ना करे (चिकित्सकीय परामर्श अवश्य ले)
इस तेल का प्रयोग आमवात अर्थात वातरोग की आमावस्था में होता हैं !
उपयोग : संधिगतवात, आमवात, अंगमर्द, कटिशूल, पृष्ठशूल, इतियादी में होता हैं
सामान्य प्रक्रिया – #जोड़ो_के_दर्द का आयुर्वेदिक तेल निर्माण
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जोड़ों घुटनो के दर्द ~ कंधे की जकड़न ~ एक टांग मे दर्द …. !
(
साइटिका / रिंगन बाय / गृध्रसी ) गर्दन का दर्द ( सरवाईकाल स्पोंदिलाइटिस ) आदि की हानि रहित सुरक्षित चिकित्सा !
घटकद्रव्य: 
• 250
ग्राम तेल ( सरसों या तिल का )
• 500
ग्राम कायफल !

*बनाने की विधि*
एक लोहे / पीतल / एल्यूमिनियम की कड़ाही मे तेल गरम करें आग धीमी रखें !
जब तेल गरम हो जाए तब थोड़ा थोड़ा करके कायफल का चूर्ण डालते जाएँ !
जब सारा चूर्ण खत्म हो जाए तब कड़ाही के नीचे से आग बंद कर दे !
एक कपड़े मे से तेल छान ले ! जब तेल ठंडा हो जाए तब कपड़े को निचोड़ लें !
इस तेल को एक बोतल मे रख ले ! कुछ दिन मे तेल मे से लाल रंग नीचे बैठ जाएगा ! उसके बाद उसे दूसरी शीशी मे डाल ले !

इसे अधिक गुणकारी बनाने के लिए इस साफ तेल मे 25 ग्राम दालचीनी का मोटा चूर्ण डाल दे !
जो कायफल का चूर्ण तेल छानने के बाद बच जाए उसी को हल्का गरम करके उसी से सेके उसे फेकने की जरूरत नहीं हर रोज उसी से सेके !
जहां पर भी दर्द हो इसे हल्का गरम करके धीरे धीरे मालिश करें !
मालिश करते समय हाथ का दबाव कम रखें उसके बाद सेक जरूर करे बिना सेक के लाभ कम होता है !
मालिश करने से पहले पानी पी ले !
मालिश और सेक के 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए !


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