गानोरिआ (सुजाक ) क्या हैं ?
सुजाक एक संक्रामक यौन रोग हैं | सुजाक गानोरिआ नामक जीवाणु से होता है जो महिला तथा पुरुषों में प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं। उपदंश की तरह यह भी एक संक्रामक रोग है अतः उन्ही स्त्री-पुरुषों को होता है जो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति से यौन संपर्क करते हैं पोस्ट by कृष्ण कुमार डाबर
सुजाक रोग में चूँकि लिंगेन्द्रिय के अंदर घाव हो जाता है और इससे पस निकलता है अतः इसे हिंदी में 'पूयमेह ' , औपसर्गिक पूयमेह और ' परमा ' कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में गोनोरिया (gonorrhoea ) कहते हैं। पश्चिमी देशों में इसे क्लेप (clap ) के नाम से भी जाना जाता है
सुजाक लिंग, योनि, मुंह या गुदा के संपर्क से फैल सकता है। सुजाक प्रसव के दौरान मां से बच्चे को भी लग सकती है।
गानोरिआ (सुजाक ) के लक्षण
किसी भी यौन सक्रिय व्यक्ति में सुजाक की बीमारी हो सकती है। जबकि कई पुरुषों में सुजाक के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते तथा कुछ पुरुषों में संक्रमण के बाद दो से पांच दिनों के भीतर कुछ संकेत या लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कभी कभी लक्षण दिखाई देने में 30 दिन भी लग जाते हैं। इनके लक्षण हैं- पेशाब करते समय जलन, लिंग से सफेद, पीला या हरा स्राव। कभी-कभी सुजाक वाले व्यक्ति को अंडग्रंथि में दर्द होता है या वह सूज जाता है। महिलाओं में सुजाक के लक्षण काफी कम होते हैं। आरंभ में महिला को पेशाब करते समय दर्द या जलन होती है, योनि से अधिक मात्रा में स्राव निकलता है या मासिक धर्म के बीच योनि से खून निकलता है।
गानोरिआ (सुजाक ) के प्रभाव
यदि गर्भवती महिला को सुजाक है तो बच्चे को भी सुजाक (गानोरिया) हो सकता है क्योंकि बच्चा प्रसव के दौरान जन्म नलिका (बर्थ कैनल) से गुजरता है। इससे बच्चा अंधा हो सकता है, उसके जोड़ों में संक्रमण हो सकता है या बच्चे को रक्त का ऐसा संक्रमण हो सकता हो जिससे उसके जीवन को खतरा हो सकता है। गर्भवती महिला को जैसे ही पता चले कि उसे सुजाक (गानोरिया) है तो उसका उपचार कराया जाना चाहिए जिससे इस प्रकार की जटिलताओं को कम किया जा सके। गर्भवती महिला को चाहिए कि वे स्वास्थ्य कार्यकर्ता से परामर्श करके सही परीक्षण, जांच और आवश्यक उपचार करवाए।
कैसे करे गानोरिआ (सुजाक) का रोकथाम
इस बीमारी से बचने का सबसे पक्का तरीका है कि संभोग न किया जाए या फिर ऐसे साथी के साथ आपसी एक संगी संबंध रखा जाए जिसे यह बीमारी नहीं है।
अस्तु सुजाक पीड़ित स्त्री अथवा ऋतुमति स्त्री के साथ समागन सेक्स करने से यह रोग हो जाता है समागन करने के पश्चात दूसरे-तीसरे दिन मूत्र नालिका लाल एवं शोथ युक्त हो जाती है और उसमें दाह होता है मूत्र पीड़ासहित दाह पूर्वक आता है कभी रक्तमिश्रित मूत्र आता है कभी जननांग शोथ युक्त हो कर ऐसी पीड़ा युक्त हो जाता है कि किंचित वस्त्र का स्पर्श हो जाए तो पीड़ा करने लगता है रोग बहुत कठिन लेकिन
उपचार बहुत ही सरल बताया जा रहा है
रोग के प्रारंभ में उपयोगी औषधियां
- जैसे----खीरा - ककड़ी के बीज खरबूजा के बीज और गोखरू प्रत्येक ३ माशा एक गिलास जल में पीसकर शीरा निकाल कर ४ तोला शर्बत बजूरी मिलाकर सबेरे - शाम पीये लाभ मिलेगा
- नवीन सूजाक में उपयोगी योगौषधि - - -वशंलोचन, बडी इलायची का दाना, सत बिहरोजा, कबाब चीनी, प्रत्येक ६ माशा मिश्री २ तोला सबको ,कूट - छानकर महीन करके थोड़ा थोड़ा चन्दन का तेल मिलाकर खरल करें और चीनी के प्याले में रख लेवें इस में से २ - २ माशासुबह साम दुग्ध के साथ लेने से किसी चमत्कार की तरह पूरा आराम मिलता है
- फिटकरी भ्रष्ट १०० ग्राम , गेरू शुद्ध १०० ग्राम दोनों को कूट छान के महीन कर लें और सुबह शाम ७ - ७ माशा उपरोक्त नं १ के साथ सेवन करने से रोगी कुछ ही दिनों में ही लाभ मिलने लगता हैं !
- दूध में बराबर पानी मिलाकर उसे अच्छी तरह फेंट कर बीच में चंदन का तेल चार से पांच बूंद डालकर पीने से लिंग सुजाक रोग से छुटकारा मिलता है