पुरुष और स्त्री के विकास और भिन्नता में हारमोंस का सबसे बड़ा हाथ होता हैं , पुरुषो में टेस्टोस्टेरॉन की बहुलता और स्त्रिवो में एस्ट्रोजन की बहुलता पायी जाती है ! टेस्टोस्टेरॉन को मेल हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है, इसके मात्रा के कम होने पर शारीरिक विकास में बाधाएं होती हैं, साथ ही साथ व्यक्ति का स्वास्थ्य पूरी तरह प्रभावित होता है। इसलिए अगर आपको पता चले कि आपके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम है तो इसका उपचार किसी बेहतर चिकित्सकीय परामर्श ले कर करवाए । लेकिन इसके उपचार के दौरान कई तरह की स्वास्थ्य समस्यायें भी उत्पन्न हो सकती हैं लेकिन कई तरीके से फायदेमंद भी है।
आज हम टेस्टोस्टेरॉन को विस्तार में जानेगे !
टेस्टोस्टेरॉन पुरुष की शारीरिक प्रवलता, यौन इन्द्रियो में विकाश,एवं यौन क्षमता को बढ़ाता है और इसका संबंध यौन क्रियाकलापों, रक्त संचरण और मांसपेशियों के साथ-साथ एकाग्रता, मूड और स्मृति
से भी जुडा होता है। अकसर यह देखने को मिलता हैं की वृद्ध पुरुष चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो जाता है तो लोग इसे उसके काम या आयु का प्रभाव मानते हैं, पर यह टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी से भी होता है। क्योकि उम्र के साथ साथ टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी भी आती हैं !
लौ टेस्टोस्टेरोन : उपचार के दौरान होने वाले खतरे
चिकित्सकों की मानें तो टेस्टोस्टेरॉन के स्तर के कम होने के बाद जब भी मरीज इसका उपचार करना आते हैं तो यह बहुत आसान नहीं होता है। अगर टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट किया जाये तो इसके कारण दिल के दौरे या किसी गंभीर बिमारी की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन की सर्वे का मानें तो उम्र बढ़ने के साथ ही टेस्टोस्टेरॉन का स्तर स्वाभाविक रूप से कम होने लगता है। लेकिन अगर इसका उपचार करवा रहे हैं तो कोशिश करें कि टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट न करवाना पड़े। सही खानपान एवं अपने दिनचर्या में सुधर करके टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को बनांये रखे
लौ टेस्टोस्टेरोन : उपचार के फायदे
बेहतर जीवन यापन के लिए स्वस्थ यौन संबंध का होना बहुत जरूरी है, लेकिन अगर पुरुष का टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम हो जाता है तो इसके कारण इरेक्शन (ED) की संभावना बढ़ जाती है और वह अपनी महिला मित्र को संतुष्ट नहीं कर पाता नतीजा नपुंसकता भी हो सकती जैन । ऐसे में लो टेस्टोस्टेरॉन के उपचार के बाद यह समस्या लगभग दूर हो जाती है। अच्छी नींद आती है, तनाव नहीं रहता है, और मांसपेशियों भी मजबूत होने लगती हैं। ऐसे में लो टेस्टोस्टेरान के उपचार के लिए टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी बहुत ही कारगर साबित हो सकती है। इसके अलावा पुरुषों को खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, नियमित व्यायाम करना चाहिए और नियमित अंतराल पर अपने शरीर के सभी अंगों की जांच भी करानी चाहिए।
आज हम टेस्टोस्टेरॉन को विस्तार में जानेगे !
टेस्टोस्टेरॉन पुरुष की शारीरिक प्रवलता, यौन इन्द्रियो में विकाश,एवं यौन क्षमता को बढ़ाता है और इसका संबंध यौन क्रियाकलापों, रक्त संचरण और मांसपेशियों के साथ-साथ एकाग्रता, मूड और स्मृति
से भी जुडा होता है। अकसर यह देखने को मिलता हैं की वृद्ध पुरुष चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो जाता है तो लोग इसे उसके काम या आयु का प्रभाव मानते हैं, पर यह टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी से भी होता है। क्योकि उम्र के साथ साथ टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी भी आती हैं !
लौ टेस्टोस्टेरोन : उपचार के दौरान होने वाले खतरे
चिकित्सकों की मानें तो टेस्टोस्टेरॉन के स्तर के कम होने के बाद जब भी मरीज इसका उपचार करना आते हैं तो यह बहुत आसान नहीं होता है। अगर टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट किया जाये तो इसके कारण दिल के दौरे या किसी गंभीर बिमारी की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन की सर्वे का मानें तो उम्र बढ़ने के साथ ही टेस्टोस्टेरॉन का स्तर स्वाभाविक रूप से कम होने लगता है। लेकिन अगर इसका उपचार करवा रहे हैं तो कोशिश करें कि टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट न करवाना पड़े। सही खानपान एवं अपने दिनचर्या में सुधर करके टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को बनांये रखे
लौ टेस्टोस्टेरोन : उपचार के फायदे
बेहतर जीवन यापन के लिए स्वस्थ यौन संबंध का होना बहुत जरूरी है, लेकिन अगर पुरुष का टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम हो जाता है तो इसके कारण इरेक्शन (ED) की संभावना बढ़ जाती है और वह अपनी महिला मित्र को संतुष्ट नहीं कर पाता नतीजा नपुंसकता भी हो सकती जैन । ऐसे में लो टेस्टोस्टेरॉन के उपचार के बाद यह समस्या लगभग दूर हो जाती है। अच्छी नींद आती है, तनाव नहीं रहता है, और मांसपेशियों भी मजबूत होने लगती हैं। ऐसे में लो टेस्टोस्टेरान के उपचार के लिए टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी बहुत ही कारगर साबित हो सकती है। इसके अलावा पुरुषों को खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, नियमित व्यायाम करना चाहिए और नियमित अंतराल पर अपने शरीर के सभी अंगों की जांच भी करानी चाहिए।
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