आज कल की
अस्त-व्यत जीवन शैली में वाहन मानव जीवन का आवश्यकता हो गयी हैं | जिसके परिणाम स्वरुप वायु प्रदूषण नित्य प्रतिदिन
बढ़ता जा रहा हैं | वायु प्रदूषण सिर्फ एक वाहन ही कारन नहीं हैं | इसके अलावा अन्य कारण भी
हैं | जैसे - ताप विद्युत गृह, सीमेंट, लोहे के उद्योग, तेल शोधक उद्योग, खान, पैट्रोरासायनिक उद्योग, वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं
वायु
प्रदूषण के कुछ ऐसे प्रकृति जन्य कारण भी हैं जिसको रोकना मनुष्य के वश में नहीं
है। जैसे मरूस्थलों में उठने
वाले रेतीले तूफान, जंगलों में लग जाने वाली आग एवं
घास के जलने से उत्पन्न धुऑं कुछ
ऐसे रसायनों को जन्म देता है, जिससे वायु प्रदूषित हो
जाती है, प्रदूषण का स्रोत कोई भी देष हो
सकता है पर उसका प्रभाव, सब जगह पड़ता है।
वायु
प्रदूषण के कारण कुछ हानिकारक तत्व उत्पान होते हैं जो हमारे फेफड़ो (lungs) को बहुत ही नुक्सान
पहुचाते हैं | ये तत्व निम्नवत हैं - कार्बन डाई आक्साइड (CO2), क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFC), लैड, ओजोन, नाइट्रोजन आक्साइड (Nox), सस्पेन्ड पर्टीकुलेट मैटर (SPM) एवं सल्फर डाई आक्साइड (SO2)
विटामिन सी युक्त द्रब्य प्रयोग करे –
वायु प्रदूषण के प्रभाव से बचने के लिए घर से बाहर निकलने से पहले नीबू की चाय या संतरा खाएं।
ब्रोकली का प्रयोग करे –
ब्रोकली का तना चबाना फेफड़ों को
स्वस्थ रखता है। कैंसर प्रिवेंशन रिसर्च जर्नल में जून में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार पौधों में पाया
जाने वाला तत्व सल्फोराफेन ब्रोकली में
प्रचुरता से होता है, जो शरीर से बेंजीन नामक तत्व बाहर निकालने में मदद करता
है
कच्चे लहसुन का प्रयोग करे –
सप्ताह में दो बार लहसुन की कली को
कच्चा खाना फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करता है। जिसका उपयोग आप कचे सभी के रूप में कर सकते हैं | कधिकता न
करे ये गर्म भी होता हैं |
खुले हवा में
विचरण करे एक स्थान पे न बैठे –
एक स्थान पे जम
के न बैठे बिचरन करते रहे | एन्वायर्नमेंट
हेल्थ पर्सपेक्टिव्स जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, नियमित दौड़ लगाएं या किसी भी तरह का व्यायाम करें। शारीरिक परिश्रम,
जैसे कोई खेल, पैदल चलना, बाइकिंग
या बागबानी करना उम्र लंबी करता है और असमय रोगों से भी बचाता है। यह मौत की आशंका
को 16 से 22% तक
कम करता है और इससे शरीर
पर वायु प्रदूषण का असर कम होता है। छाती,
कमर व कंधे के व्यायाम
नियमित रूप से करें।
नित्य प्राणायाम करें-
प्राणायाम श्वास प्रक्रिया की शिथिलता को उतेजित करता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। वायु के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाले टॉक्सिन बाहर निकलते हैं | अथ: नित्य प्राणायाम करें