आयुर्वेद और हमारी प्रकृति

आयुर्वेद प्रकृति में उपस्थित उन द्रव्यों का समावास हैं जिससे मनुष्य समायोजित एवं क्रमबद्ध सदुपयोग से सुरक्षित स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता हैं | आइये जाने क्या हैं ये द्रव्य और कब करे इनका प्रयोग ?

जाने आयुर्वेद और उसकी महत्ता

आयुर्वेद एक प्राचीनतम उपचार हैं जो सदियो से चली आ रही हैं | इसका महत्व दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा हैं | इसी संदर्भ में हम आपको कुछ आयुर्वेदिक उपचार और उसकी महत्ता को बताने जा रहे हैं | आइये जाने क्या हैं ये ?

स्वावलंबन और नियमितता की परख हैं आयुर्वेद

आयुर्वेद स्वावलंबन एवं नियमितता की परख हैं | इसके गुणधर्म मनुष्य के शरीर को आन्तरिक और बाह्य दोनों ही रूप से लोकिक बनाता हैं | परन्तु इसके लिए नियमितता और स्वव्लाम्बिता अनिवार्य हैं | स्वावलंबी बने स्वस्थ्य रहे

स्वस्थ्य शरीर में सिर्फ आत्मा ही नहीं परमात्मा बसते हैं

अति सुन्दर बचन "मूरख के लिए धन और गुणी के लिए स्वास्थ्य" समान कोई संचय नहीं हैं | एक स्वस्थ शरीर ने एक स्वस्थ आत्मा का निवास होता हैं | आयुर्वेद अपनाये स्वस्थ्य रहे सुरक्षित रहे |

सरल हैं स्वास्थ्य सहेजना

नित्य क्रिया में उपयोग होने वाली वस्तुये किस प्रकार आपके लिए उपयोगी हैं, कब और कितनी मात्रा में इसका उपयोग करे ? ये आयुर्वेद आपको बताता हैं | अत: सहज और सरल हैं आयुर्वेद, और उतना ही उपयोगी हैं |

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Tuesday, 18 April 2017

निल शुक्राणु ( Nil Sperm OR Azoospermia) प्रॉब्लम ना घबराए – जाने डॉक्टर की राय

डाक्टर साहब नमस्ते !
प्रश्न: मैं राजेश दिल्ली सुल्तानपुरी से बोल रहा हु ! मैं आपको अपनी रिपोर्ट्स भेज रहा हूं जिसमें कि मुझे बताया गया है कि वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं और इसका कारण मेरे करंट के डाक्टर ने वीर्य वाहिनी में अवरोध होना बताया है कि वीर्य में शुक्राणु लाने वाली नली में रुकावट है इस कारण से आपके वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं। क्या मेरी बीमारी का कोई इलाज नहीं है?


उत्तर: राजेश जी, जहां तक आपने जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मुझे इस तरह की रिपोर्टस पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं है। यही तो तरीका है पैथोलाजिस्ट्स और चिकित्सकों के गठजोड़ का मरीजों का खून पीने का।
पुरुषों में अंडकोश एक ग्रन्थि के आकार के होते हैं जो कि लगभग २०- २५ ग्राम के आसपास और ४ x x २.५ सेमी. की होती है। इसके दोनो ओर के स्रोत मूत्र स्रोत में खुलते हैं। यह ग्रन्थि ग्लैन्ड्युलर टिश्यूज़ को घेरे हुए मांस तंतुओं से बनी होती है एवं सूत जैसे तंतुओं से कैप्सूल जैसी रचना को ढंके रहती है। वास्तव में इसी ग्रन्थि के द्वारा मूत्राशय का निम्नद्वार बनता है। इस ग्रन्थि में एक प्रकार का पतला स्राव यानि रस बनता है जो कि सेक्स की भावना आने के समय तत्काल निर्मित होता है जैसे कि जनरेटर में आवश्यकता होने पर बिजली उत्पन्न होने लगती है, ये कार्य हार्मोनल स्तर पर संपन्न होता है। दस-बीस पतली-पतली नलियों से होकर यह यह रस शुक्रमार्ग में (मूत्रमार्ग के धरातल पर) आता हैं, यह रस क्षारीय होता है अम्लत्त्व में शुक्राणु जीवित नहीं रह पाते हैं। जैसा कि आपकी रिपोर्ट में मैंने देखा है कि वीर्य में न केवल अम्लीयता है बल्कि उसमें लाल रक्त कण भी पाये गये हैं इससे साफ़ पता चलता है कि पित्त विकार के कारण आपके साथ ऐसा है कि आप azoospermia  नामक रोग से पीड़ित हैं। जो मनुष्य को नपुंसक बनती हैं ! परन्तु सही देखभाल और सही चिकिसकीय परामर्श एवं उपचार से इसको ठीक किया जा सकता हैं
यहा पे आपको कुछ निम्न उपचार बातये गये हैं | इनका सेवन करे आप जल्द ही स्वस्थ्य हो जायेगे !
. गिलोय सत्त्व १० ग्राम + कबाब (शीतल)चीनी १० ग्राम + सफ़ेद मूसली १० ग्राम + कतीरा गोंद १० ग्राम + शिलाजीत १० ग्राम + प्रवाल पिष्टी १० ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम + भीमसेनी कपूर आधा ग्राम ; इन सबको कस कर घोंट कर गुलाब जल डाल कर खरल करें फिर एक ग्राम केसर डाल कर दुबारा मजबूत हाथों से घुटाई करके २५० मिग्रा. की गोलियां बना लीजिये। सुबह-शाम एक - एक गोली गिलोय (गुरिच या गुळ्वेल या गुडूची) के रस में बराबर शहद मिला कर लें यदि गिलोय का रस न मिल पाये तो तुलसी के पत्तों के रस व शहद से लीजिये।
. महामन्मथ रसायन एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + ताप्यादि लौह एक रत्ती + चंद्रप्रभा वटी एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली इन सबकी एक खुराक बनाएं व एक चम्मच सुबह च्यवनप्राश के साथ ले
. स्वर्ण बंग एक रत्ती + अभ्रक भस्म एक रत्ती + लक्ष्मी विलास रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली + नवायस मण्डूर एक रत्ती की एक खुराक बनाएं व दोपहर भोजन के बाद द्राक्षासव व अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
. बसंतकुसुमाकर रस एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + पूर्णचंद्र रस एक गोली + स्वर्णमाक्षिक भस्म एक रत्ती + मुक्ताशुक्ति भस्म एक रत्ती + मूसली पाक एक चम्मच को मिला कर हलके गुनगुने मीठे दूध के साथ शाम को लीजिये।
. एक चम्मच कोंचा पाक + एक चम्मच च्यवनप्राश को चाट कर ऊपर से करीब दो चम्मच ईसबगोल की भूसी दूध के साथ लीजिये।
इस उपचार को कम से कम तीन माह तक जारी रखिये। भोजन में मांसाहार व तेज मिर्च मसाले का सेवन एकदम बंद कर दें यदि तम्बाकू अथवा शराब का सेवन करते हों तो परहेज करिये।

नोट : ये दवाए कोई भी व्यक्ति बिना डॉक्टर के परामर्श के न ले ! क्योकि हर केस में मरीज़ के लक्षण अलग अलग होते हैं जिसका साइड इफ़ेक्ट भी हो सकता हैं – अगर आपको चिकिसकीय परामर्श चाहिए तो संपर्क करे ! आप हमे कॉल कर सकते हैं ! हमारा नंबर हैं - +91-9999219128

Monday, 10 April 2017

लिकोरिया - श्वेत प्रदर (White Discharge) का आयुर्वेदिक उपचार

अक्सर लिकोरिया की समस्या से स्त्रीयां परेशान रहती हैं ! और इस समस्या से बहुत ही दर्द झेलती हैं ! क्‍या ? आप भी इन दिनों ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) की समस्‍या का सामना कर रही हिं ? अगर हां, तो फिर आपको यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिये क्‍योंकि आज हम आपको वेजाइनल डिस्‍चार्ज का आसान इलाज बताएंगे।

योनि मार्ग से सफेद, गाढे, चिपचिपे और बदबूदार पदार्थ का निकलन ल्‍यूकोरिया कहलाता है। इसकी वजह से योनि के अगल - बगल खुजली और जलन महसूस हो सकती है, जो कि रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर सकता है।

हमारे भारतीय समाज में जब भी महिलाओं को श्वेत प्रदर की बीमारी होती है तो, वह किसी को नहीं बताती। लेकिन अगर इसका इलाज न करवाया जाए तो शरीर में कमजोरी भी पैदा हो जाती है।
यह रोग ज्‍यादातर उन महिलाओं में देखा गया है जो सहवास के बाद योनि को जल से नहीं धोती या फिर बार बार गर्भपात करवाना भी बेहद खराब होता है।

आवला
आवले में विटामिन सी होता है जो शरीर को ताकत प्रदान करता है। साथ ही यह वेजाइना के बैक्‍टीरिया का भी खात्‍मा करता है जो यह परेशानी पैदा करता है। इसलिये आपको नियमित रूप से अपने आहार में आवले का सेवन बहुत ही उपयोगी माना गया हैं !

आम का पल्प

पके आम का पल्‍प दिन में कई बार अपनी योनि के अंदर लगाएं। यह बेहद प्रभावशाली उपचार है। इससे यानि की खुजली और गंध दोनों ही दूर होगी। बाद में इसे 5 मिनट के बाद हल्‍के गरम पानी 
से धो लें


बरगद के पेड़ की छाल
बरगद के पेड़ की छाल का रस इसमें एंटीसेप्‍टिक गुण होते हैं। आपको केवल पानी में बरगद के पेड़ की छाल को उबाल कर छान लेना होगा। फिर इससे अपनी योनि को दिन में 3 बार धोएं। इससे आपकी योनि साफ, सूखी और स्‍वस्‍थ बनी रहेगी।

इसमें एंटीसेप्‍टिक गुण होते हैं। आपको केवल पानी में बरगद के पेड़ की छाल को उबाल कर छान लेना होगा। फिर इससे अपनी योनि को दिन में 3 बार धोएं। इससे आपकी योनि साफ, सूखी और स्‍वस्‍थ बनी रहेगी।


एलोवेरा

सुबह एलोवेरा का जूस पीजिये और इसके जैल को अपनी योनि पर संक्रमण रोकने के लिये लगाइये भी। ऐसा करने से योनि से दुर्गन्‍ध भी आना बंद हो जाएगी।


अखरोट की पत्ती
मुठ्ठीभर अखरोट की पत्‍तियों को उबालिये और हल्‍का गर्म रह जाने तक इससे योनि को धोइये। इससे संक्रमण खतम होगा और योनि से बदबू भी नहीं आएगी।

केला

रोजाना एक केला खाने से श्वेत प्रदर से मुक्‍ती मिल सकती है। इसमें एंटी इंफेक्‍टिव गुण होते हैं जो कि घातक बैक्‍टीरिया को योनि के अंदर फैलने से रोकते हैं

चौलाई की जड़ें

चौलाई की जड़ों को पहले मिक्‍सी में पीस लें और फिर उसें पानी में 15 मिनट तक उबाल कर काढ़ा बनाएं। इसे दिन में दो बार पियें। इसमें एंटीबैक्‍टीरियल गुण होते हैं जो कि वेजाइना के संक्रमण को दूर कर सकते हैं।

निम्बू का रस:
सहवास के पश्चात निम्बू के रस से अपने योनी को साफ़ करे | जिससे योनी से आने वाली बदबू दूर होगी !


नोट : ये सारे नुक्से आम-तौर जन सामान्य को मान के दिए गये हैं ! अथ: आप सबसे अनुरोध हैं की इनको उपयोग में लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले !