Wednesday, 12 July 2017
दालचीनी Cinnamon – पेट दर्द और गंजेपन का कारगर उपचार ~
By आयुवेद एक उपचारJuly 12, 2017arthritis pain herbal treatment, stomach pain herbal treatment, गंजेपन का घरेलू उपाय, पेट दर्द का घरेलू उपायNo comments

दालचीनी से आप सभी लोग भलीभाति परिचित होंगे ! आमतौर पे दालचीनी मसालों के रूप में काम मे ली जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं दाल चीनी कितने रोगों के लिए लाभकारी हैं – पेट दर्द से लेकर बाल झड़ना से रोकने साथ थी साथ आर्थेरिसिस और भी अन्य रोगों के निदान में सहायक है - दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
आइये जाने किस प्रकार दालचीनी आपको आपके कई सारे बिमारिओ से निजात दिला सकता हैं !
- दालचीनी को तिल के तेल, पानी, शहद में मिलाकर उपयोग करने और दर्द वाले स्थान पर मालिश करने के बाद इसे रातभर रहने दे और ये मालिश अगर दिन में करें तो 2-3 घंटे के बाद धोएं। इस तरह से आप विषम से विषम दर्द से निजात पा सकते हैं !
- दालचीनी त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है।
- दालचीनी सेहत के लिए लाभकारी है। यह पाचक रसों के स्त्राव को भी उत्तेजित करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है।
- रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।
- ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
- दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।
- दालचीनी, डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है।
- मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।
- दालचीनी में एंटीएजिंग तत्त्व उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।
- दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं
- आर्थराइटिस का दर्द दूर भगाने में शहद और दालचीनी का मिश्रण बड़ा कारगर है।
- गंजेपन या बालों के गिरने की समस्या बेहद आम है। इससे छुटकारा पाने के लिए गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। इसे सिर में लगाए और पंद्रह मिनट बाद धो लें।
- एक चम्मच दालचीनी पाउडर और पांच चम्मच शहद मिलाकर बनाए गए पेस्ट को दांत के दर्द वाली जगह पर लगाने से फौरन राहत मिलती है।
- सर्दी जुकाम हो तो एक चम्मच शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर दिन में तीन बार खाएं। पुराने कफ और सर्दी में भी राहत मिलेगी।
- पेट का दर्द-शहद के साथ दालचीनी पाउडर लेने पर पेट के दर्द से राहत मिलती है।
- खाली पेट रोजाना सुबह एक कप गरम पानी में शहद और दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से फैट कम होता है। इससे मोटे से मोटा व्यक्ति भी दुबला हो जाता है।
Monday, 12 June 2017
जाने धातु दुर्बलता दूर करने का आयुर्वेदिक उपचार
वीर्य का मूत्र के साथ निकलने को धातु रोग या शुक्र-मेह कहा जाता हैं ! ये स्वभाविक हैं जब पुरुष के अन्दर सेक्स करने की इच्छा जागृत होती हैं तो पुरुष का लिंग बिलकुल टाईट हो जाता हैं ! और इस केस में एक पतला द्रव्य पुरुष के लिंग के मुह तक आ जाता हैं जिसे Prostatic Secretion या मजी कहा जाता हैं ! यह मजी यौन सम्बन्ध बनांते समय बाहर निकलता हैं जो घर्षण को कम करता हैं – जिससे लिंग या योनी को किसी प्रकार का नुकसान न पहुचे और लिंग का प्रवेश योनी में सुगमता से हो जाये !

बहुत से व्यस्क कामवाशना के कारण हस्त-मैथुन क्रिया या स्वप्नदोष में लिप्त हो जाते हैं परिणामस्वरुप Prostatic Secretion (मजी) का प्रवाह बड़ी तेजी से होने लगता हैं ! जिससे पुरुष की उत्तेजना जल्द ही शांत हो जाती है !
इसके कई कारण और प्रकार हो सकते हैं जो निम्नवत हैं :
- वीर्य लेसदार या पानी के रूप में निकलना
- वीर्य स्वप्नदोष के समय अपने आप निकल जाना
- पार्टनर के साथ यौन सम्बन्ध बनाते ही निकल जाना
- कामुक विचार या स्त्री के अंग देख उत्तेजित होकर निकल जाना
- वीर्य दुर्बलता या पतलेपन के कारण निकल जाना
- पाचन की दुर्वलता
- अधिकतर लोगो में भोजन करने से 3-4 घंटे पहले पेशाब गाढ़ा और पीलापन आता है इस केस में समझना चाहिए कि पाचनशक्ति खराब है। बहुत से चिकित्सक मरीजो के अन्दर दर पैदा कर देते हैं लकिन आपको घबराने की बिलकुल भी जरूरत नहीं हैं । क्योकि असल में यह ज्यादा गरिष्ट भोजन करने से और पाचनतंत्र के कमजोर होने के कारण होता है जिसे फास्फेटस् कहा जाता है। अगर पाचनशक्ति के ठीक होने से पेशाब में वीर्य निकलने का रोग दूर हो जाता है |
- चिकित्सक सेक्सोलोजिस्ट सर्वप्रथम पेशाब में वीर्य की जांच कराने के लिए रोगी से कहते है कि अपने पेशाब को एक शीशी में भरकर रख लें। अगर उस शीशी में 2-3 घंटे के बाद नीचे कोई पदार्थ जम जाता है तो समझ जाना कि आप शुक्रमेह रोग से पीड़ित है। लेकिन कभी कभी भोजन नहीं पचता तो वह भी नीचे ही बैठ जाता है। रोगी व्यक्ति के पेशाब में यह अनपचा भोजन ज्यादा होता है और स्वस्थ व्यक्ति में कम
- 20 मिलीग्राम ताजे आंवले के रस में शहद मिलाकर पीने से धातु पुष्ट होती है।
- रोज सुबह प्रात:कालीन दो-तीन खजूर को घी में भूनकर खाने और ऊपर से इलायची, चीनी और कौंच डालकर उबाला गया दूध पिने से धातु दुर्बलता दूर होती है।
- इलायची दाना, बादाम, जावित्री का चूर्णं, शक्कर व गाय का मक्खन मिलाकर खाने से धातु दुर्वलता नष्ट होता है।
- अमलतास की छाल का महीन चूर्णं दो ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें ४ ग्राम शक्कर मिलाकर गाय के दूध के साथ सुबह शाम लेने से धातु दुर्वलता नष्ट होता है।
Tuesday, 18 April 2017
निल शुक्राणु ( Nil Sperm OR Azoospermia) प्रॉब्लम ना घबराए – जाने डॉक्टर की राय
By आयुवेद एक उपचारApril 18, 2017azoospermia ka ilaj, nil shukranu, nil sperm ka ilaj, निल शुक्राणु की दवा, निल स्पर्म ट्रीटमेंट79 comments

डाक्टर साहब नमस्ते !

उत्तर: राजेश जी, जहां तक आपने जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मुझे इस तरह की रिपोर्टस पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं है। यही तो तरीका है पैथोलाजिस्ट्स और चिकित्सकों के गठजोड़ का मरीजों का खून पीने का।
पुरुषों में अंडकोश एक ग्रन्थि के आकार के होते हैं जो कि लगभग २०- २५ ग्राम के आसपास और ४ x ३ x २.५ सेमी. की होती है। इसके दोनो ओर के स्रोत मूत्र स्रोत में खुलते हैं। यह ग्रन्थि ग्लैन्ड्युलर टिश्यूज़ को घेरे हुए मांस तंतुओं से बनी होती है एवं सूत जैसे तंतुओं से कैप्सूल जैसी रचना को ढंके रहती है। वास्तव में इसी ग्रन्थि के द्वारा मूत्राशय का निम्नद्वार बनता है। इस ग्रन्थि में एक प्रकार का पतला स्राव यानि रस बनता है जो कि सेक्स की भावना आने के समय तत्काल निर्मित होता है जैसे कि जनरेटर में आवश्यकता होने पर बिजली उत्पन्न होने लगती है, ये कार्य हार्मोनल स्तर पर संपन्न होता है। दस-बीस पतली-पतली नलियों से होकर यह यह रस शुक्रमार्ग में (मूत्रमार्ग के धरातल पर) आता हैं, यह रस क्षारीय होता है अम्लत्त्व में शुक्राणु जीवित नहीं रह पाते हैं। जैसा कि आपकी रिपोर्ट में मैंने देखा है कि वीर्य में न केवल अम्लीयता है बल्कि उसमें लाल रक्त कण भी पाये गये हैं इससे साफ़ पता चलता है कि पित्त विकार के कारण आपके साथ ऐसा है कि आप azoospermia नामक रोग से पीड़ित हैं। जो मनुष्य को नपुंसक बनती हैं ! परन्तु सही देखभाल और सही चिकिसकीय परामर्श एवं उपचार से इसको ठीक किया जा सकता हैं
प्रश्न: मैं राजेश दिल्ली
सुल्तानपुरी से बोल रहा हु ! मैं आपको अपनी रिपोर्ट्स भेज रहा हूं
जिसमें कि मुझे
बताया गया है कि वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं और इसका कारण मेरे करंट के डाक्टर
ने वीर्य वाहिनी में अवरोध होना बताया है कि वीर्य में शुक्राणु लाने वाली नली में रुकावट है इस कारण से
आपके वीर्य में शुक्राणु हैं ही
नहीं। क्या मेरी बीमारी का कोई इलाज नहीं है?

उत्तर: राजेश जी, जहां तक आपने जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मुझे इस तरह की रिपोर्टस पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं है। यही तो तरीका है पैथोलाजिस्ट्स और चिकित्सकों के गठजोड़ का मरीजों का खून पीने का।
पुरुषों में अंडकोश एक ग्रन्थि के आकार के होते हैं जो कि लगभग २०- २५ ग्राम के आसपास और ४ x ३ x २.५ सेमी. की होती है। इसके दोनो ओर के स्रोत मूत्र स्रोत में खुलते हैं। यह ग्रन्थि ग्लैन्ड्युलर टिश्यूज़ को घेरे हुए मांस तंतुओं से बनी होती है एवं सूत जैसे तंतुओं से कैप्सूल जैसी रचना को ढंके रहती है। वास्तव में इसी ग्रन्थि के द्वारा मूत्राशय का निम्नद्वार बनता है। इस ग्रन्थि में एक प्रकार का पतला स्राव यानि रस बनता है जो कि सेक्स की भावना आने के समय तत्काल निर्मित होता है जैसे कि जनरेटर में आवश्यकता होने पर बिजली उत्पन्न होने लगती है, ये कार्य हार्मोनल स्तर पर संपन्न होता है। दस-बीस पतली-पतली नलियों से होकर यह यह रस शुक्रमार्ग में (मूत्रमार्ग के धरातल पर) आता हैं, यह रस क्षारीय होता है अम्लत्त्व में शुक्राणु जीवित नहीं रह पाते हैं। जैसा कि आपकी रिपोर्ट में मैंने देखा है कि वीर्य में न केवल अम्लीयता है बल्कि उसमें लाल रक्त कण भी पाये गये हैं इससे साफ़ पता चलता है कि पित्त विकार के कारण आपके साथ ऐसा है कि आप azoospermia नामक रोग से पीड़ित हैं। जो मनुष्य को नपुंसक बनती हैं ! परन्तु सही देखभाल और सही चिकिसकीय परामर्श एवं उपचार से इसको ठीक किया जा सकता हैं
यहा पे आपको कुछ निम्न उपचार बातये गये हैं | इनका सेवन करे आप जल्द ही
स्वस्थ्य हो जायेगे !
१ . गिलोय सत्त्व १० ग्राम + कबाब (शीतल)चीनी १० ग्राम + सफ़ेद मूसली १० ग्राम + कतीरा गोंद १० ग्राम + शिलाजीत १० ग्राम + प्रवाल पिष्टी १० ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम + भीमसेनी कपूर आधा ग्राम ; इन सबको कस कर घोंट कर गुलाब जल डाल कर खरल करें फिर एक ग्राम केसर डाल कर दुबारा मजबूत हाथों से घुटाई करके २५० मिग्रा. की गोलियां बना लीजिये। सुबह-शाम एक - एक गोली गिलोय (गुरिच या गुळ्वेल या गुडूची) के रस में बराबर शहद मिला कर लें यदि गिलोय का रस न मिल पाये तो तुलसी के पत्तों के रस व शहद से लीजिये।
२ . महामन्मथ रसायन एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + ताप्यादि लौह एक रत्ती + चंद्रप्रभा वटी एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली इन सबकी एक खुराक बनाएं व एक चम्मच सुबह च्यवनप्राश के साथ ले
३ . स्वर्ण बंग एक रत्ती + अभ्रक भस्म एक रत्ती + लक्ष्मी विलास रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली + नवायस मण्डूर एक रत्ती की एक खुराक बनाएं व दोपहर भोजन के बाद द्राक्षासव व अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
४ . बसंतकुसुमाकर रस एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + पूर्णचंद्र रस एक गोली + स्वर्णमाक्षिक भस्म एक रत्ती + मुक्ताशुक्ति भस्म एक रत्ती + मूसली पाक एक चम्मच को मिला कर हलके गुनगुने मीठे दूध के साथ शाम को लीजिये।
५ . एक चम्मच कोंचा पाक + एक चम्मच च्यवनप्राश को चाट कर ऊपर से करीब दो चम्मच ईसबगोल की भूसी दूध के साथ लीजिये।
इस उपचार को कम से कम तीन माह तक जारी रखिये। भोजन में मांसाहार व तेज मिर्च मसाले का सेवन एकदम बंद कर दें यदि तम्बाकू अथवा शराब का सेवन करते हों तो परहेज करिये।
१ . गिलोय सत्त्व १० ग्राम + कबाब (शीतल)चीनी १० ग्राम + सफ़ेद मूसली १० ग्राम + कतीरा गोंद १० ग्राम + शिलाजीत १० ग्राम + प्रवाल पिष्टी १० ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम + भीमसेनी कपूर आधा ग्राम ; इन सबको कस कर घोंट कर गुलाब जल डाल कर खरल करें फिर एक ग्राम केसर डाल कर दुबारा मजबूत हाथों से घुटाई करके २५० मिग्रा. की गोलियां बना लीजिये। सुबह-शाम एक - एक गोली गिलोय (गुरिच या गुळ्वेल या गुडूची) के रस में बराबर शहद मिला कर लें यदि गिलोय का रस न मिल पाये तो तुलसी के पत्तों के रस व शहद से लीजिये।
२ . महामन्मथ रसायन एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + ताप्यादि लौह एक रत्ती + चंद्रप्रभा वटी एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली इन सबकी एक खुराक बनाएं व एक चम्मच सुबह च्यवनप्राश के साथ ले
३ . स्वर्ण बंग एक रत्ती + अभ्रक भस्म एक रत्ती + लक्ष्मी विलास रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली + नवायस मण्डूर एक रत्ती की एक खुराक बनाएं व दोपहर भोजन के बाद द्राक्षासव व अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
४ . बसंतकुसुमाकर रस एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + पूर्णचंद्र रस एक गोली + स्वर्णमाक्षिक भस्म एक रत्ती + मुक्ताशुक्ति भस्म एक रत्ती + मूसली पाक एक चम्मच को मिला कर हलके गुनगुने मीठे दूध के साथ शाम को लीजिये।
५ . एक चम्मच कोंचा पाक + एक चम्मच च्यवनप्राश को चाट कर ऊपर से करीब दो चम्मच ईसबगोल की भूसी दूध के साथ लीजिये।
इस उपचार को कम से कम तीन माह तक जारी रखिये। भोजन में मांसाहार व तेज मिर्च मसाले का सेवन एकदम बंद कर दें यदि तम्बाकू अथवा शराब का सेवन करते हों तो परहेज करिये।
नोट : ये दवाए कोई भी व्यक्ति बिना डॉक्टर के
परामर्श के न ले ! क्योकि हर केस में मरीज़ के लक्षण अलग अलग होते हैं जिसका साइड इफ़ेक्ट भी हो सकता हैं – अगर
आपको चिकिसकीय परामर्श चाहिए तो संपर्क करे ! आप हमे कॉल कर सकते हैं ! हमारा नंबर
हैं - +91-9999219128
Monday, 10 April 2017
लिकोरिया - श्वेत प्रदर (White Discharge) का आयुर्वेदिक उपचार
By आयुवेद एक उपचारApril 10, 2017white discharge, लिकोरिया इलाज, श्वेत प्रदर का आयुर्वेदिक इलाज1 comment

अक्सर लिकोरिया
की समस्या से स्त्रीयां परेशान रहती हैं ! और इस समस्या से बहुत ही दर्द झेलती हैं
! क्या ? आप भी इन दिनों ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) की समस्या का सामना कर रही हिं ?
अगर हां, तो फिर आपको यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिये क्योंकि आज हम आपको
वेजाइनल डिस्चार्ज का आसान इलाज बताएंगे।
योनि मार्ग से
सफेद, गाढे, चिपचिपे और बदबूदार पदार्थ का निकलन ल्यूकोरिया
कहलाता है। इसकी वजह से योनि के अगल - बगल खुजली और जलन महसूस हो सकती है, जो कि रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर सकता
है।
हमारे भारतीय
समाज में जब भी महिलाओं को श्वेत प्रदर की बीमारी होती है तो, वह किसी को नहीं बताती। लेकिन अगर इसका इलाज न
करवाया जाए तो शरीर में कमजोरी भी पैदा हो जाती है।
यह रोग ज्यादातर
उन महिलाओं में देखा गया है जो सहवास के बाद योनि को जल से नहीं धोती या फिर बार
बार गर्भपात करवाना भी बेहद खराब होता है।
आवला
आवले में विटामिन
सी होता है जो शरीर को ताकत प्रदान करता है। साथ ही यह वेजाइना के बैक्टीरिया का
भी खात्मा करता है जो यह परेशानी पैदा करता है। इसलिये आपको नियमित रूप से अपने
आहार में आवले का सेवन बहुत ही उपयोगी माना गया हैं !
आम का पल्प
पके आम का पल्प
दिन में कई बार अपनी योनि के अंदर लगाएं। यह बेहद प्रभावशाली उपचार है। इससे यानि
की खुजली और गंध दोनों ही दूर होगी। बाद में इसे 5 मिनट के बाद हल्के गरम पानी
से धो लें
बरगद के पेड़ की
छाल
बरगद के पेड़ की
छाल का रस इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। आपको केवल पानी में बरगद के पेड़ की
छाल को उबाल कर छान लेना होगा। फिर इससे अपनी योनि को दिन में 3 बार धोएं। इससे आपकी योनि साफ, सूखी और स्वस्थ बनी रहेगी।
इसमें एंटीसेप्टिक
गुण होते हैं। आपको केवल पानी में बरगद के पेड़ की छाल को उबाल कर छान लेना होगा।
फिर इससे अपनी योनि को दिन में 3 बार धोएं। इससे
आपकी योनि साफ, सूखी और स्वस्थ
बनी रहेगी।
एलोवेरा
सुबह एलोवेरा का
जूस पीजिये और इसके जैल को अपनी योनि पर संक्रमण रोकने के लिये लगाइये भी। ऐसा
करने से योनि से दुर्गन्ध भी आना बंद हो जाएगी।
अखरोट की पत्ती
मुठ्ठीभर अखरोट
की पत्तियों को उबालिये और हल्का गर्म रह जाने तक इससे योनि को धोइये। इससे
संक्रमण खतम होगा और योनि से बदबू भी नहीं आएगी।
केला
रोजाना एक केला
खाने से श्वेत प्रदर से मुक्ती मिल सकती है। इसमें एंटी इंफेक्टिव गुण होते हैं
जो कि घातक बैक्टीरिया को योनि के अंदर फैलने से रोकते हैं
चौलाई की जड़ें
चौलाई की जड़ों
को पहले मिक्सी में पीस लें और फिर उसें पानी में 15 मिनट तक उबाल कर काढ़ा बनाएं। इसे दिन में दो बार पियें।
इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो कि वेजाइना के संक्रमण को दूर कर सकते हैं।
निम्बू का रस:
सहवास के पश्चात निम्बू के
रस से अपने योनी को साफ़ करे | जिससे योनी से आने वाली बदबू दूर होगी !