आयुर्वेद और हमारी प्रकृति

आयुर्वेद प्रकृति में उपस्थित उन द्रव्यों का समावास हैं जिससे मनुष्य समायोजित एवं क्रमबद्ध सदुपयोग से सुरक्षित स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता हैं | आइये जाने क्या हैं ये द्रव्य और कब करे इनका प्रयोग ?

जाने आयुर्वेद और उसकी महत्ता

आयुर्वेद एक प्राचीनतम उपचार हैं जो सदियो से चली आ रही हैं | इसका महत्व दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा हैं | इसी संदर्भ में हम आपको कुछ आयुर्वेदिक उपचार और उसकी महत्ता को बताने जा रहे हैं | आइये जाने क्या हैं ये ?

स्वावलंबन और नियमितता की परख हैं आयुर्वेद

आयुर्वेद स्वावलंबन एवं नियमितता की परख हैं | इसके गुणधर्म मनुष्य के शरीर को आन्तरिक और बाह्य दोनों ही रूप से लोकिक बनाता हैं | परन्तु इसके लिए नियमितता और स्वव्लाम्बिता अनिवार्य हैं | स्वावलंबी बने स्वस्थ्य रहे

स्वस्थ्य शरीर में सिर्फ आत्मा ही नहीं परमात्मा बसते हैं

अति सुन्दर बचन "मूरख के लिए धन और गुणी के लिए स्वास्थ्य" समान कोई संचय नहीं हैं | एक स्वस्थ शरीर ने एक स्वस्थ आत्मा का निवास होता हैं | आयुर्वेद अपनाये स्वस्थ्य रहे सुरक्षित रहे |

सरल हैं स्वास्थ्य सहेजना

नित्य क्रिया में उपयोग होने वाली वस्तुये किस प्रकार आपके लिए उपयोगी हैं, कब और कितनी मात्रा में इसका उपयोग करे ? ये आयुर्वेद आपको बताता हैं | अत: सहज और सरल हैं आयुर्वेद, और उतना ही उपयोगी हैं |

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Saturday, 4 December 2021

मोटापा कम करना है अब आसान इन 8 आदतों की बस करें अदला-बदली ~ The steps will help you to weight loose fast

आज हम बताने जा रहे हैं उसके करने से आपकी मोटापा १ माह में कम से कम १० किलो कम हो जाएगी और करन कुछ नही है जो आप दैनिक करते हैं उसमे बस कुछ आदतों की अदला-बदली करनी है। इससे आपको दृढ़ सकंल्प और निरंतरता के साथ वजन घटाने में मदद मिलेगी।

बहुत से लोग वजन घटाने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। खासतौर से एक्सरसाइज और डाइट को लेकर बेहद सर्तक रहते हैं। लेकिन फिर भी वजन कम करना उनके लिए लोहे के चबाना जैसा हो जाता है। क्योंकि इसके लिए समर्पण और निरंतरता की जरूरत होती है, जो हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन आपको पता होना चाहिए की केवल एक्सरसाइज और डाइट ही आपका वजन घटाने में मदद नहीं करती, बल्कि जीवनशैली से जुड़े कुछ कारक भी बेहद प्रभावी है मोटापा को कम करने में ।

यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो अपना वजन तेजी से कम करना चाहते  हैं, तो आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने होंगे। आज हम आपको कुछ ऐसे विकल्प बताने जा रहे हैं, जो वेटलॉस के मामले में गेम चेंजर का काम कर सकते हैं।


सफेद चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करें


वजन घटाने के लिए आपने चीनी से परहेज करने के बारे में कई बार सुना होगा। यह सच है। क्योंकि सफेद चीनी में कैलोरी नहीं होती, जबकि गुड़ पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए अपने भोजन में चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करने की आदत डालें।


ठंडे पानी की जगह गर्म पानी का सेवन करें

वजन घटाने वालों के लिए ठंडा पानी उनका दुश्मन है। इसलिए जो लोग वजन घटाने की सोच रहे हैं, उन्हें पहली फुर्सत में ठंडे पानी की जगह पर गर्म पानी का सेवन शुरू कर देना चाहिए। दरअसल, गर्म पानी आपकी पाचन अग्नि को जलाने में मदद करता है और इसे अच्छा रखता है। इतना ही नहीं, यह चयापचय में सुधार करने के लिए भी अच्छा है, क्योंकि इसे पचाना काफी आसान होता है।

रात में देर से सोने के बजाय जल्दी सोएं

जब आप सोते हैं, तो आपका लिवर डिटॉक्सीफाई करता है, इसलिए देर रात तक सोने से वजन घटने में समय लग सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप बहुत तेजी से वजन घटाना चाहते हैं, तो रात 10 बजे से पहले सोने की कोशिश करें।


देर रात में नहीं, जल्दी खाना खाएं

सूर्यास्त के बाद चयापचय बहुत कम हो जाता है। इसलिए जितना हो सके रात का खाना जल्दी खा लें और कोशिश करें कि डिनर ज्यादा हैवी न हो। वजन कम करने के दौरान देर रात तक खाने से वजन बढ़ सकता है। इसलिए रात में 8 बजे से पहले खाना खाने की आदत डाल लें।



फ्रूट जूस नहीं, बल्कि फ्रूट्स खाएं

वेटलॉस करने वाले जो लोग फ्रूट जूस पर निर्भर रहते हैं, उन्हें इसके बजाय फल खाने चाहिए। क्योंकि जब आप फलों के रस का सेवन करते हैं, तो इसमें मौजूद फाइबर लगभग खत्म हो जाता है और तरल होने के कारण आप ज्यादा मात्रा में इसे पी जाते हैं। लेकिन जब आप फल चबाते हैं, तो उनका पाचन ठीक आपके मुंह से शुरू होता है और फाइबर भी बरकरार रहता है। इसलिए आयुर्वेद के अनुसार, फलों का रस पीने से अच्छा है कि वजन कम करने के लिए ताजे फल खाएं।



शरीर को हिलाते-डुलाते रहें

कई लोग सोचते हैं कि दिनभर में 5000-10000 स्टेप्स चलना ही वजन कम करने के लिए काफी हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। बल्कि दिनभर एक्टिव रहना भी उतना ही जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर को हिलाने-डुलाने से शरीर में एक्टिवनेस बनी रहती है, लचीलीपन रहता है और ब्लड सकुर्लेशन में भी सुधार होता है।



रोजाना व्यायाम करें

अच्छी नींद, स्ट्रेस मैनेजमेंट और स्वस्थ भोजन विकल्पों के साथ व्यायाम करना स्थायी वजन घटाने का अच्छा तरीका है। इसलिए खुद को एक्टिव रखें। आप चाहें, तो योग, सैर, टहलना, साइकिल चलाना, एचआईआईटी और तैराकी जैसे तरीके अपना सकते हैं।

यहां बताए गए तरीकों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लीजिए और फिर देखिए आप कितनी तेजी और स्वस्थ तरीके से वजन घटाने में कामयाब हो जाएंगे।




दोपहर का भोजन छोड़ने से बेहतर है अच्छा भोजन करें

वजन कम करने के लिए दोपहर का भोजन छोड़ने जैसी गलती बिल्कुल न करें। क्योंकि मध्यम से भारी भोजन करने के लिए सुबह 10 से दोपहर 2 बजे का समय अच्छा रहता है। इस समय मेटाबॉलिज्म बहुत अच्छा होता है। इसलिए दोपहर का भोजन छोड़ने से बेहतर है कि दोपहर में अच्छा और स्वस्थ भोजन करें।




Sunday, 10 October 2021

लक्षण कारण जान गये तो नही होगी डायबिटीज ~ Know Symptoms, Causes and How to Control Diabetes

रोज रोज की थकान, बार बार प्यास लगना ,बार बार पेसाब आना क्या हो गया हैं मुझे- ये डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं 

दोस्तों आजका टॉपिक बहुत ही इंट्रेस्टिंग होने जा रहा हैं हम आपसे बात करने वाले है डायबिटीज के बारे में क्या हैं कारण, क्या हैं लक्षण, और बचने के उपाय क्या क्या है  इसके बारे में 

आपमें से कितने लोग हैं जो इस खतरनाक बिमारी से जूझ रहे है जिसका नाम हैं डायबिटीज या आपके आसपास कितने है जो मधुमेह डायबिटीज से ग्रषित हैं अनुमानत: अगले ५० सालो में ये अकड़ा ५ गुना बढ़ी हैं . डायबिटीज के रोगियों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. डायबिटीज आपको अंदर से धीरे-धीरे खोखला करता जा रहा है, दुर्भाग्य की बात हैं कई बार प्रारम्भिक स्टेज में यह बीमारी कब घर कर गयी पता भी नही चल पाता और इसके जिमेदार हमारी अनियमित जीवन शैली और खानपान है बस. 

ऐसा नही हैं इसको नियंत्रित नही किया जा सकता बेहतर जीवनशैली, खानपान और एक्सरसाइज से ही कंट्रोल किया जा सकता है इसको . इंडियन डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के अनुसार भारत में लगभर 7 करोड़ लोग डायबिटीड के शिकार हो चुके है . डायबिटीज से हमारे शरीर में और कई अन्य बीमारियों का भी जन्म देता है और एक ऐसी जिंदगी जीने लगते हैं जिसमें कोई मजा नहीं होता. कई लोग सवाल करते हैं कि डायबिटीज होने में क्या खाएं और क्या नहीं खाये . डायबिटीज का भोजन (Diabetes Food) या आहार चार्ट क्या होता है, डाइबिटीज डाइट (Diabetes Diet) में क्या शामिल करना चाहिए और क्या नहीं क्या डायबिटीज में खाने और व्यायाम का समय बदलने से आप इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं क्या है डायबिटीज का असली फंडा आप भी जानना चाहते हैं पुरे ब्लॉग को पढ़े यहा डिटेल में डायबिटीज को समझाने का प्रयास किया हैं ! 


डायबिटीज क्या है ? What Is Diabetes 

मानव शरीर में जब ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है तो इस स्थिति को डायबिटीज (मधुमेह) कहा जाता है. यह इंसुलिन की कमी के कारण होता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो पाचन को बनाने में सहायक है. यह हमारे शरीर में खाने को ऊर्जा में बदलता है. साथ ही इंसुलिन ही हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद सहायक है

डायबिटीज क्यों होती है ? What are the Causes of Diabetes 

  • ज्यादा मीठा खाने  से

लगातार ज्यादा मीठे के सेवन से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. मीठा खाने से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है.

  • कम पानी पीने से  

कम पानी पीने से शरीर में शुगर का लेवल बढ़ता है. जो डायबिटीज को न्योता देने का कारण हो सकता है. 

  • मोटापा कारण हो सकता है 

मोटापा भी डायबिटीज का एक मुख्य कारण हो सकता है, वजन बढ़ने से हमारे शरीर में बीमारियां घर करने लगती हैं जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है ! 

  • एक्सरसाइज (व्यायाम ) न करना

एक्सरसाइज व्यायाम न करने से शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है. डॉक्टर भी रोजाना एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं. लेकिन कौन कौन से एक्सरसाइज करना हैं इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह ले ! अपने मन से कुछ भी ना करे ये जोकिम से भरा हो सकता है ! 

कहीं आप डायबिटीज को न्योता तो नहीं बैठे ! कैसे पहचानेगे इसके लक्षणों को आये जाने 

  • बहुत ज्यादा थकान तो नही हो रही 

डायबिटीज में आप खुद को हर समय थका हुआ महसूस करेंगे. तरोताजा होने पर भी आपको थकान लगेगी तो समझ लीजिए की आप डायबिटीज के शिकार हैं.  

  • बार बार प्यास लगना 

अगर आपको ज्यादा बार बार प्यास लग रही है तो आपके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ रही है. 

  • वजन कम होना

अगर आपका वजन तेजी से कम हो रहा है और आपको खुद को थका हुआ महसूस करें तो समझ लीजिए डायबिटीज के लक्षण हैं. 

  • ज्यादा भूख लगना

एक नॉर्मल व्यक्ति के मुकाबले डायबिटीज के रोगी को ज्यादा भूख लगती है. साथ अगर आपको अक्सर सर्दी-खांसी जुकाम रहता है तो आप डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं.

डायबिटीज से कैसे बचें | How To Avoid Diabetes

  • तनाव मुक्त रहें | Stay Stress Free

जब भी आपको तनाव, टेंशन या स्ट्रेस हो तो ब्रेक लेकर अपनी सांस पर ध्यान दें. अपनी आंखों को बंद करके एक हाथ को नाभी पर रखें और दूसरे हाथ से नाक के एक छिद्र को बंद कर लें. अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और दोबारा सांस लेकर उसे फिर धीरे-धीरे छोड़ दें. इससे आपका सारा स्ट्रेस गायब हो जाएगा. स्ट्रेस लेवल बढ़ने पर बॉडी के शुगर लेवल पर भी असर पड़ सकता है. स्ट्रेस कंट्रोल करने के लिए योग का सहारा लें या ऐसी ऐक्टिविटीज करें, जिससे स्ट्रेस रिलीज करने में मदद मिले. 

  • रोजाना वर्कआउट करें | Do Workouts daily

आपको दिन में कम से कम तीस मिनट व्यायाम करना चाहिए. आप चाहें तो इसे दिन भर में 10-10 मिनट के तीन हिस्सों में बांटकर भी कर सकते हैं. सबसे अच्छा यह रहेगा कि सुबह 10 निमट की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की जाए. दोपहर के भोजन के बाद दस मिनट की तेज चाल चली जाए. रोज एक्सरसाइज करें. 

  • खूब पानी पिएं | Drink Plenty of Water

डायबिटीज के मरीज को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए. डायबिटीज के मरीज में तरल पदार्थों की कमी हो जाती है और आप अधिक मात्रा में पानी पीकर उस कमी को पूरा कर सकते हैं. इससे आपकी त्वचा स्वस्थ रहेगी और साथ ही उसमें नमी भी बरकरार रहेगी.

  • बादाम खाएं | Eat Almonds

बादाम खाने से शरीर में ग्लुकोज का स्तर सामान्य रहता है. बादाम ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं और व्यक्ति को डायबिटीज और दिल संबंधी समस्याओं में फायदा पहुंचाते हैं. रोजाना बादाम के सेवन से शरीर में मैग्नीशियम की कमी भी दूर होती है. टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए बादाम का सेवन बेहद फायदेमंद है. 


Monday, 1 February 2021

जाने क्या है लीवर फंक्शन टेस्ट - कब और क्यों कराये

 मरीज:  सर मेरा नाम राजेश हैं सर बहुत दिनों से मैं अपने पेट से परेशान हु, बहुत जगह दिखाया लाभ नही मिल रहा , सर नजदीकी डॉक्टर ने टेस्ट करवाने की सलाह दिया हैं कृपया मार्गदर्शन करे हम क्या करे

डॉक्टर साब : आप लिवर फंक्शन टेस्ट करवाए और रिपोर्ट हमे व्हाट्सअप के द्वारा भेजे

प्रश्न: सर ये लिवर फंक्शन टेस्ट होता क्या है?

उत्तर: श्रीमान यह परीक्षणों का एक समूह है जो रोगी के लीवर के फंक्शन को दर्शाता है। यह रक्त में यकृत एंजाइम, प्रोटीन या बिलीरुबिन के स्तर का मूल्यांकन करके लीवर  के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। यकृत परीक्षणों में मुख्य परीक्षण प्रोथ्रोम्बिन समय, एपीटीटी, एल्ब्यूमिन, बिलीरुबिन हैं।

प्रश्न- सर लिवर फंक्शन टेस्ट की सलाह समान्य तौर पर कब दी जाती है

उत्तर: निम्नलिखित कारणों से लिवर फंक्शन टेस्ट की सलाह दी जाती है:

  •          लीवर  में हेपेटाइटिस सी जैसे किसी भी संक्रमण के लिए स्क्रीन करने के लिए
  •          यदि आप किसी भी दवा का सेवन कर रहे हैं, जिसका लीवर के कार्यों पर दुष्प्रभाव हो रहा हो
  •          उपचार के दौरान पहले से मौजूद यकृत रोग और इसकी स्थिति की निगरानी करने में
  •          अगर आपको लिवर की कोई समस्या या लिवर की बीमारी के कोई लक्षण दिख रहे हो
  •      गर्भावस्था में

प्रश्न: डॉक्टर साब लिवर समस्या के क्या लक्षण हो सकते है

उत्तर: देखिये ये आम लक्षण देखने को मिल सकते है

  •          पीलिया बुखार - त्वचा और आँखें पीलापन आ जाना
  •          पेट में सूजन और दर्द
  •          पैरों और टखनों में सूजन
  •          त्वचा की खुजली
  •          गहरे रंग का मूत्र
  •          मल या तो खूनी है, टार-कलर्ड या पीला है
  •          थकान
  •          बेचैनी या उल्टी
  •          भूख में कमी
  •          चक्कर आना इत्यादी

प्रश्न: सर लिवर की प्रॉब्लम के कारण क्या हैं:?

उत्तर: अधिकतर इसमें से जो देखने को मिला है

  •          संक्रमण
  •          प्रतिरक्षा प्रणाली असामान्यता
  •          जेनेटिक्स
  •          कैंसर
  •          अत्यधिक शराब का सेवन जैसे आदतें सामिल है

प्रश्न: लिवर फंक्शन टेस्ट की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर: यकृत मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और यकृत के कार्य आपके शरीर के समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लिवर फंक्शन टेस्ट आपके लिवर की स्थिति और स्वास्थ्य को निर्धारित करने में मदद करता है ताकि इसके लिए निम्न लिवर कार्य कुशलता से किया जा सके।

प्रश्न: एक लीवर  का कार्य क्या है?

उत्तर: लीवर आपके शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग हैं जिसकी सरचना आप गूगल करके देख सकते है यह

  •          संक्रमण को खत्म करने वाले दूषित पदार्थों को हटाकर आपके रक्त को साफ करता है
  •          आपके भोजन के सेवन से पोषक तत्वों को परिवर्तित करने में मदद करता है
  •          आपके शरीर में विटामिन और खनिजों को संग्रहीत करता है
  •          रक्त के थक्के को नियंत्रित करता है
  •          एंजाइम, प्रोटीन और पित्त का उत्पादन करता है
  •          संक्रमण से लड़ने वाले कारक पैदा करता है
  •          खून से बैक्टीरिया को हटाता है
  •          शरीर से हानिकारक पदार्थों को संसाधित करता है
  •          हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है

बहुत अधिक यकृत विकार, यकृत में होने वाली समस्या व्यक्ति को वडी बीमारियों का कारण बन सकती है।

प्रश्न: लिवर फंक्शन टेस्ट कैसे किया जाता है?

उत्तर: लिवर फंक्शन टेस्ट किसी अन्य ब्लड टेस्ट की तरह है। इसे अस्पताल, क्लिनिक या विशेष परीक्षण सुविधा में लिया जा सकता है। आप जाँच कर सकते हैं कि निम्नलिखित चरण किए गए हैं या नहीं:

·         आपकी त्वचा रक्त परीक्षण तकनीशियन द्वारा परीक्षण के संदूषण से बचने के लिए आपकी त्वचा पर किसी भी पदार्थ को रोकने के लिए साफ हो जाएगी।

·         वे नसों को अधिक दृश्यमान बनाने के लिए आपके हाथ को किसी प्रकार के दबाव उपकरण से लपेटेंगे। फिर वे परीक्षण के लिए पर्याप्त रक्त के नमूने खींचने के लिए सुई को नस में डाल देंगे।

·         एक बार जब रक्त खींच लिया जाता है, तो वे किसी भी संक्रमण से बचने के लिए छेदा क्षेत्र को कवर करेंगे और प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए रक्त के नमूने भेजेंगे।

प्रश्न: क्या लिवर फंक्शन टेस्ट में कोई जोखिम है?

उत्तर: कई बीमारियों की जाँच और लिवर की बीमारी की तरह निदान के लिए रक्त परीक्षण एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। इसमें नाम मात्र की जोखिम हैं

प्रश्न: मैं परीक्षा की तैयारी कैसे करूं?

उत्तर: आपको परीक्षणों को लेने से पहले डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया जाएगा। आपको परीक्षण से पहले कुछ खाद्य पदार्थों और दवाओं से बचना पड़ सकता है क्योंकि वे आपके रक्त में मौजूद एंजाइम और प्रोटीन के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।

प्रश्न: सर मैंने अपना टेस्ट रिपोर्ट आपको भेजा है कृपया मार्गदर्शन करे ?

उत्तर: लिवर फंक्शन टेस्ट के लिए लिया जाने वाला सबसे आम रक्त परीक्षण एमिनोट्रांस्फरेज है।

यदि आपके लीवर फंक्शन टेस्ट का परिणाम एएलटी के लिए 7-56 यूनिट / लीटर के बीच है और 10-40 एएसटी मिला है, तो आपका लीवर फंक्शन सामान्य है। लिवर फंक्शन टेस्ट नॉर्मल रेंज के बाहर कुछ भी हो सकता है इसका मतलब है कि लिवर की कुछ समस्याएं या लीवर में संक्रमण हो सकता है और इसका निदान और इलाज किया जाना चाहिए। आप एक कार्य करे आप मेरे नंबर पर संपर्क करे,

Saturday, 30 January 2021

जाने बवासीर हेमोरहोयड्स Hemorrhoids, पाइल्स का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार


आजका पोस्ट बवासीर के रोगियों के लिए वरदान है ,इस पोस्ट में बवासीर की हर समस्या का समाधान छुपा है ,इसमें

बवासीर (Piles) एक असाध्य रोग है। इसे हेमोरहोयड्स Hemorrhoids, पाइल्स या मूलव्याधि भी कहते हैं।

बवासीर को आयुर्वेद में अर्श यानि दीर्घकालीन प्राण-घातक बीमारी कहा जाता है।

बवासीर में आंत के अंतिम हिस्से या मलाशय (गुदा) की भीतरी दीवार में रक्त की धमनी और शिराओं में सूजन हो जाती है ,और वो तनकर फैल जाती है। मल त्याग के वक्त जोर लगाने या दवाब देने से या कब्ज के कड़े मल से रगड़ खाने से रक्त की नसों में दरार पड़ जाती है ,और नतीजा उस में से खून का स्राव होने लगता है।

बवासीर में मलद्वार के पास रक्त की शिराएं फूल जाती है। हेमोरॉयडल रक्त शिराएं गुदा और रेक्टम के नीचे स्थित होती है। हेमोरॉयडल रक्त शिराओं में सूजन होने से जब यह फूल जाती है ! तो मल को निकलने में काफी परेशानी होती है।

हेमोरॉयडल रक्त शिराएं की दीवार इतनी तन जाती है ,कि मल निकलने के दौरान दर्द होने लगता है , और मलद्वार में खुजलाहट होने लगती है।

मस्सों से पीड़ित मरीजों को दर्द, घाव, खुजली, जलन, सूजन और गर्मी की शिकायत रहती हैं। प्रसव के दौरान जब कोई स्त्री बच्चे को जन्म देते समय अधिक ज़ोर लगाती है ,तब उसे भी खूनी बवासीर होने की संभावना रहती है।

इस रोग से पीड़ित अधिकतर मरीज कब्ज से पीड़ित रहते हैं। इस बवासीर के कारण मलत्याग करते समय रोगी को बहुत तेज दर्द होता है , और मस्सों से खून बहने लगता है।

यह बहुत ही गंभीर रोग है , क्यों कि इस में दर्द तो होता ही है ,साथ में शरीर का खून भी व्यर्थ निकल जाता है।

बबासीर से बचने के घेरलू उपाय :-

  1. गुड़ में बेलगिरी मिला कर खाने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है ,और बवासीर रोग ठीक हो जाता है
  2. पका पपीता, पका बेल, सेब, नाशपाती, अंगूर, तरबूज, मौसमी फल, किशमिश, छुआरा, मुनक्कात, अंजीर, नारियल, संतरा, आम, अनार खाना बवासीर में फायदेमंद होता है
  3. मस्सों पर सरसों का तेल लगाना चाहिए, फिर इसके बाद अपने पेड़ू पर मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए और इस के बाद एनिमा लेना चाहिए तथा मस्सों पर मिट्टी का गोला रखना चाहिए।
  4. रात को १०० ग्राम किशमिश पानी में भिगो दें और इसे सुबह के समय में उसी पानी में इसे मसल दें। इस पानी को रोजाना सेवन करने से कुछ ही दिनों में बवासीर रोग ठीक हो जाता है

  5. नींबू को काट कर उस पर चार ग्राम कत्था पीस कर बुरक दें और उसे रात में छत पर रख दें। सुबह दोनों टुकड़ों को चूस लें, यह खूनी बवासीर की उत्तम दवा है।

  6.  चोकर समेत आटे की रोटी, गेहूं का दलिया, हाथ कुटा- पुराना चावल, सोठी चावल का भात, चना और उस का सत्तू, मूंग, कुलथी, मोठ की दाल, छाछ का नियमित सेवन करना चाहिए। 

  7.         रात में सोते समय एक गिलास पानी में इसबगोल की भूसी के दो चम्मच डालकर पीने से भी लाभ होता है। गुदा के भीतर रात के सोने से पहले और सुबह मल त्याग के पूर्व दवायुक्त बत्ती या क्रीम का प्रवेश भी मल निकास को सुगम करता है।

Tuesday, 27 October 2020

त्रिफला चूर्ण कैसे बननाए – और इसका उपयोग

 त्रिफला क्या है ?

त्रिफला तीन आयुर्वेदिक औषधियों का मिश्रण होता है। ये तीन जड़ी औषधिया निम्न हैं :

  • आंवला
  • बहेड़ा
  • हरड़

इन तीनों फलों के चूर्ण का को १:१:१ के समभाव मिश्रण त्रिफला कहलाता है। इसका सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि

वैसे तो त्रिफला चूर्ण बाज़ार में आसानी से उपलब्ध है लेकिन अगर आप इसे घर पर भी बनाना चाहें तो इसे आसानी से बना सकते हैं। इसके लिए हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका और गुठली निकाले हुए आंवला तीनों के 1:1: सम भाग लेकर उसका बारीक़ चूर्ण बनाकर कूटछान कर सुरक्षित रख लें और इसका सेवन करें |

त्रिफला की सामान्य खुराक

रात को सोते समय 3 से 9 ग्राम त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। इसके अलावा विषम भाग घी या शहद के साथ भी इसे लिया जा सकता है।

त्रिफला के फायदे

त्रिफला को हर उम्र के लोग रसायन औषधि के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा त्रिफला के नियमित सेवन से पेट से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है। यह औषधि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसे गंभीर रोगों में भी बहुत लाभकारी है। आइये इसके कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कब्ज़ दूर करने में सहायक

आयुर्वेद में कब्ज़ को कई गंभीर रोगों की जड़ बताया गया है। अगर आप कब्ज़ से पीड़ित हैं तो आगे चलकर बवासीर, भगंदर जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। त्रिफला चूर्ण कब्ज़ दूर करने की कारगर औषधि मानी जाती है। यह पुराने कब्ज़ से पीड़ित मरीजों के लिए भी बहुत उपयोगी है।

उपयोग विधि :

कब्ज़ दूर करने के लिए रोजाना रात में सोने से पहले गुनगुने पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

पेट में गैस की समस्या (एसिडिटी) से राहत

कब्ज़ के अलावा पेट से जुड़ी एक और समस्या है एसिडिटी जिससे अधिकांश लोग परेशान रहते हैं। यह समस्या गलत खानपान और अनियमित रहन सहन की वजह से होती है। त्रिफला चूर्ण पेट फूलने, पेट में गैस की समस्या (हाइपरएसिडिटी) आदि सभी रोगों से आराम दिलाता है।

उपयोग विधि :

आधे चम्मच त्रिफला चूर्ण को पानी के साथ रोजाना सुबह दोपहर और शाम को लें।

आंखों के लिए फायदेमंद

बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं कि त्रिफला चूर्ण आखों के लिए भी फायदेमंद है। यह आंखों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ आंखों को अनेक रोगों से बचाता भी है।

उपयोग विधि :

एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को रात भर के लिए ठंडे पानी में भिगोकर रख दें। अगली सुबह इसे छानकर पानी अलग कर लें और उस पानी से आंखों को अच्छी तरह धोएं। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखों से जुड़े अनेक रोगों से बचाव होता है।

वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक

अगर आप बढ़ते वजन और मोटापे से से परेशान हैं और इससे जल्दी निजात पाना चाहते हैं तो त्रिफला आपके लिए एक कारगर औषधि हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला में ऐसे गुण हैं जो पाचन शक्ति बढ़ाने और वजन घटाने में सहायक है। इसलिए नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

उपयोग विधि :

200 एमएल पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर इसे रात भर के लिए रख दें। अगली सुबह इस पानी को तब तक उबालें जब तक यह घटकर आधा ना रह जाए। अब इस बचे मिश्रण को 2 चम्मच शहद के साथ लें। नियमित रूप से इसका सेवन करने पर कुछ ही हफ़्तों में मोटापा कम होने लगता है।   

पाचन शक्ति बढ़ाता है

पाचन शक्ति कमजोर होने से कई बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है। आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला में ऐसे गुण हैं जो पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं और पेट संबंधी रोगों का खतरा कम करते हैं। इसलिए अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है तो चिकित्सक की सलाह लेकर त्रिफला का सेवन शुरू कर दें।

बालों का झड़ना रोकता है

बाल झड़ने की समस्या से आजकल अधिकांश लोग परेशान रहते हैं और रोज बालों को झड़ने से रोकने के नए तरीके आजमाते रहते हैं। लेकिन अगर आप आयुर्वेद की मदद लें तो बाल झड़ने की समस्या से निजात पा सकते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार त्रिफला चूर्ण के सेवन से बालों का गिरना काफी हद तक कम किया जा सकता है, इसके लेप को भी आप मेहँदी के साथ सर में छाप सकते हैं जिससे प्रॉपर ग्रोथ मिलेगा

उपयोग विधि :

2-5 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 125 एमएल लौह भस्म में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम को सेवन करें।

भूख बढ़ाता है

त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा होता है और ये तीनों ही फल पेट के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। यही वजह है कि पेट से जुड़ी लगभग सभी समस्याओं के लिए त्रिफला चूर्ण सर्वोतम औषधि मानी जाती है। आयुर्वेद में इसके गुणों का उल्लख करते हुए लिखा गया है कि इसके सेवन से भूख और पाचन शक्ति बढ़ती है। इसलिए यदि आपको भूख कम लगती है या कमजोर पाचन शक्ति है तो त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन करें।

मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी

त्रिफला चूर्ण मूत्र संबंधी समस्याओं में भी उपयोगी है। इसके सेवन से रूक-रूक  कर पेशाब आना, पेशाब में लन आदि समस्याओं से आराम मिलता है।

उपयोग विधि :

त्रिफला, अनार और चिरौंजी का साथ में सेवन मूत्र संबंधी समस्याओं में उपयोगी है।

गोनोरिया में उपयोगी 

गोनोरिया एक यौन संचारित बीमारी है जो बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होती है। यह बीमारी पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकती है। त्रिफला चूर्ण गोनोरिया के इलाज में उपयोगी है। हालांकि गोनोरिया के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें।

कुष्ठरोग में फायदेमंद

कुष्ठरोग त्वचा से संबंधित एक समस्या है जिसमें त्वचा पर सफ़ेद दाग , गांठे या घाव होने लगते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कुष्ठरोग में त्रिफला का सेवन लाभकारी होता है। अगर आप कुष्ठरोग से पीड़ित हैं तो चिकित्सक की सलाह अनुसार त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

मलेरिया में लाभकारी

गर्मियों और मानसून के मौसम में मलेरिया का प्रकोप काफी बढ़ जाता है। मच्छरों से फैलने वाली यह बीमारी बच्चों में बहुत ज्यादा होती है। त्रिफला चूर्ण मलेरिया में होने वाले बुखार से आराम दिलाने में सहायक है। इसका सेवन किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं।

उपयोग विधि

त्रिफला से तैयार काढ़े की 20 एमएल मात्रा का सेवन करना मलेरिया में लाभकारी माना जाता है।

अब आप त्रिफला के फायदों से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप त्रिफला का इस्तेमाल किसी गंभीर बीमारी के इलाज में कर रहे हैं तो चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही इसका सेवन करें।